Rishto Ki Patang...( Patang hu main )


मेरे प्यारे मित्रों! आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार🙏🏻। आज मैं SaiShri आपसे रिश्तों से जुड़़े एक खास Topic पर अपनी बात Share करने वाली हूं।
"ज़िन्दगी में रिश्ते भी पतंग की तरह होते हैं, जनाब !
 हवा का रुख होने पर ही अपनी उड़ान भरते हैं।"

अपनी इन लाइनों में मै आपसे रिश्तों के बुनियाद की पहली सीढ़ी के बारे मैं कहने जा रही हूं। जिस तरह एक पतंग अपनी उड़ान हवा के चले बिना नहीं उड़ सकती हैं, उसी तरह जीवन में रिश्ते भी बिना प्रेम की हवा चले बिना जुड़ नहीं सकते। पतंग को अपनी उड़ान भरने के लिए हवा के रुख का इन्तजार करना होता हैं, उसी तरह जीवन में नए रिश्तों को सही वक़्त का इन्तजार करना होता हैं।

        "सारा खेल डोर का हैं यहां, पतंग तो बस इक कतपुताली है।
          हवा का रुख तेज़ हो जाए, तो डोर को ढील देना होता हैं।
          हवा का रुख धीमा हो जाए, तो डोर को ज़ोर देना होता है।"

रिश्तों का जुडना - टूटना यहां सब उप्पर वाले के हाथों में है, इंसान तो बस एक कतपुताली की तरह हैं। जिस तरह पतंग हवा के इशारों पर नाचती हैं।
🥺 लेकिन मित्रों! जिस तरह आजकल तलाक़ 💔 breackup ज्यादा हो रहे हैं। उसका कारण सिर्फ इतना सा है, कि हम ये नहीं समझ पाते की हमें जीवन के किस मोड़ पर हमारे रिश्ते की डोर को खींचना है और कब इसमें ज़ोर लगाना होता हैं। माना कि ताली 👏 दोनों हाथों से ही बजती है, लेकिन वो हाथ 👋कब उठना है यह भी हमारी ही सोचसमझ पर निर्भर करता हैं।

      "ज़ोर ढील के खेल को जो समझ जाए यहां!!!
        जनाब... पतंग उसी की होती हैं। "

 जिस तरह हम पतंग के खेल में, हवा के रुख के हिसाब से चरखा चलते हैं। रिश्तों की बागडोर संभालने के लिए हमें भी वक़्त की नज़ाकत को देखकर, एक दूसरे को समझा बहुत जरूरी होता हैं। जो इस बात को समझ जाता हैं वो ही रिश्तों को निभा पाता है।

मेरे इस लेख को प्रेम से पढ़ने और अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद 🙏🙏🙏।

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